वक़्त
वो कहते थे, की
जाने वाले का
ग़म ना कर,
तेरा वक़्त बदलेगा
मैंने मान लिया
वो कहते थे, की
उम्मीद का दामन
ना छोड़,
अच्छा वक़्त आएगा
मैंने मान लिया
वो कहते थे, की
बस, ये आख़री इम्तिहाँ
और फ़िर देख,
वक़्त का फेर
मैंने मान लिया
किसी ने बताया ही नहीं,
इतने लोग!
इतनी उम्मीदें!
इतने इम्तिहाँ!
कैसे मान लूँ, अब
तो जैसे
मेरा वक़्त,
थम सा गया है !
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