सपनों की हो बात अगर
तेरे होने का कुछ ऐसा हो असर की बंधन न लगे बोझ सा, कुछ ऐसा चढ़े रंग तेरा की हो हर रंग से प्यार हमें, कुछ ऐसा पिलाये जाम तू की कभी न उतरे नशा तेरा , कुछ ऐसा बसा हो मेरे सपनो का जहाँ की हो हर बात तुझसे शुरू, और तुझपे ही हो ख़तम |